The festive working day is noticed with devotees accumulating at Hanuman temples before dawn, and day very long spiritual recitations and Tale examining with regards to the victory of good about evil.[8]
व्याख्या – श्री हनुमान जी परब्रह्म राम की क्रिया शक्ति हैं। अतः उसी शक्ति के द्वारा उन्होंने भयंकर रूप धारण करके असुरों का संहार किया। भगवान् श्री राम के कार्य में लेश मात्र भी अपूर्णता श्री हनुमान जी के लिये सहनीय नहीं थी तभी तो ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम‘ का भाव अपने हृदय में सतत सँजोये हुए वे प्रभु श्री राम के कार्य सँवारने में सदा क्रिया शील रहते थे।
भावार्थ – हे अतुलित बल के भण्डार घर रामदूत हनुमान जी! आप लोक में अंजनी पुत्र और पवनसुत के नाम से विख्यात हैं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥ जो सत बार पाठ कर कोई ।
Individuals who just take refuge in You, locate all of the comforts and happiness. When Now we have a protector like You, we don't have to get terrified of any one or anything at all.
Janama janamaJanama janamaBirth right after delivery keKeOf dukhaDukhaUnhappiness / agony bisarāvaiBisarāvaiRemove / still left at the rear of That means: By singing your praise, one finds Lord Rama and escapes from soreness/unhappiness in numerous life.
Many court officials, perplexed, were angered by this act. Hanuman replied that in lieu of needing a present to recall Rama, he would normally be in his coronary heart. Some court docket officials, nonetheless upset, asked him for proof, and Hanuman tore open check here up his upper body, which experienced a picture of Rama and Sita on his heart.
SankataSankataTrouble / trouble kataiKataiCut small / close mitaiMitaiRemoved sabaSabaAll pīrāPīrāPains / troubles / sufferings
[Bhoota=Evil spirits, Pishaacha=ghost; nikata=close; nahi=don’t; avai=come; mahabira=maha+bira=fantastic+brave; jaba=when; naama=name; sunavai=heard]
The king on the gods, Indra, responds by telling his wife which the residing remaining (monkey) that bothers her will be to be viewed as a colleague, Which they need to make an effort to coexist peacefully. The hymn closes with all agreeing that they ought to come jointly in Indra's home and share the prosperity from the choices.
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥ सब पर राम तपस्वी राजा ।
व्याख्या – संसार में मनुष्य के लिये चार पुरुषार्थ हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। भगवान के दरबार में बड़ी भीड़ न हो इसके लिये भक्तों के तीन पुरुषार्थ को हनुमान जी द्वार पर ही पूरा कर देते हैं। अन्तिम पुरुषार्थ मोक्ष की प्राप्ति के अधिकारी श्री हनुमन्तलाल जी की अनुमति से भगवान के सान्निध्य पाते हैं।
बालाजी आरती
व्याख्या—इस चौपाई में श्री हनुमन्तलाल जी के सुन्दर स्वरूप का वर्णन हुआ है। आपकी देह स्वर्ण–शैल की आभा के सदृश सुन्दर है और कान में कुण्डल सुशोभित है। उपर्युक्त दोनों वस्तुओं से तथा घुँघराले बालों से आप अत्यन्त सुन्दर लगते हैं।
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